मेरी काम वाली बाई
पसीने से तरबतर
बिखरे बाल गालों पर
थकान से चूर होकर
याद आई मुझे मेरी काम वाली बाई
लोकडाउन मे घुटकर
झाड़ू- बर्तन बार बार कर
डस्टिंग मे अटक कर
याद आई मुझे मेरी काम वाली बाई
अपने ही फेहलाए
काम मे उलझ कर
बरतनों के ढेर पर गिरकर
याद आई मुझे मेरी काम वाली बाई
धोने के लिए कपडे समेट कर
अपने किये पोचे पर फिसल कर
दर्द से रो कर, कराह कर
याद आई मुझे मेरी काम वाली बाई
घर के झाले उतार कर
पंखे की धूल झाड कर
हाथ पैर खराब कर
याद आई मुझे मेरी काम वाली बाई
अलमारियां साफ़ कर
रद्दी बस्ती इकठा कर
गर्म कपड़ों को धूप दिखाकर
याद आई मुझे मेरी काम वाली बाई
काम वाली बाई
तुम देवी स्वरुप हो
मेरी सखी, मेरी प्रीत हो
तुम ही हो जो मे्रे सबसे करीब हो
तुम आओगी तो मै विश्राम कर पाऊँगी
तुम आओगी तो मै अपना ध्यान रख पाऊँगी
तुम आओगी तो पसंद के पकवान बना पाऊँगी
तुम आओगी तो मै कुछ देर बेठ पाऊँगी
तुम को नाराज करना
मे्रे बस का नहीं
तुम बिन गुज़र करना
कभी नहीं, कभी नहीं
तुम कहोगी तो तुमे साड़ी दिला दूँगी
कह के तो देखो, पैसें भी बड़ा दूँगी
चलो दीवाली पर दो छुट्टी भी ले लेना
साथ मे बच्चों के लिए मिठाई भी दे दूँगी
रचना