RACHNA KHUSHU
DATED:02.09.2021.
तीसरी लहर
आज दिल पतंग है
फिर जगी उमंग है
हर कोई मलंग है
ये नहीं व्यंग्य है
जानकारों को सुनके
रह गये सब दंग हैं
तीसरी लहर ना होगी
श्रृंखला अब भंग है
खुशियों के बिखरे रंग हैं
बदले –बदले से डंग हैं
विशवास अब अखंड है
धराशाई दानव प्रचंड है
तभी संभव होगा
एहतियात जब संघ है
दूरियां बनाये रखें
सोच नहीं ये, तंग है
आधी तो हो चुकी
जीतनी पूरी जंग है
जड़ से उखाड़ना है
बनकर विहंग है
आज के समाज का
ये ज्वलंत प्रसंग है
सख्ति से भिड़ना होगा
दुश्मन ये उदंड है
उठिए,चलिए,जागृत रहिये
ना तोड़ने पलंग हैं
सभी को मिल कर ही तो
मोड़नी ये तरंग है
रचना