ये रिश्ते -A poem written by Mrs. Rachna Khushu.

RACHNA KHUSHU,  दिनांक:12.08.2021. ये रिश्ते                               आग़ है, तूफ़ान है रिसता हुआ नासूर है कयामत हैं, आपदा हैं राख़ है,राख मे जलती चिंगारी हैं दर्द है,आह है सिसकता घाव है बदहवासी है,शोर है …

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मेरी काम वाली बाई -A beautiful poem written by Mrs. Rachna Khushu

  RACHNA KHUSHU दिनांक: 08.08.2021. मेरी काम वाली बाई                         पसीने से तरबतर बिखरे बाल गालों पर थकान से चूर होकर याद आई मुझे मेरी काम वाली बाई   लोकडाउन मे घुटकर झाड़ू- …

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फिर वो सुबह आई है – A Poem written by Mrs. Rachna Khushu.

  RACHNA KHUSHU दिनांक: 05.08.2021 फिर वो सुबह आई है                            आज बहुत दिनों बाद फिर वो सुबह आई है उगता सूरज है,कलियाँ चटकाई हैं   चहल पहल है, जिंदगी भरपूर है …

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फूडी -A Poem by Mrs. Rachna Khushu.

   RACHNA KHUSHU दिनांक:01.08.2021 फूडी  चल चलें ना यार कुछ खा कर आयें पानी-पूरी, चाट, समोसा  या दाबेली पिज़ा – बर्गर, फ्रेंच टोस्ट खाने का मन नहीं है कुछ तीखा मसालेदार चटपटा हो जाये …

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माँ का जीवन चक्र -[A poem written by Mrs. Rachna Khushu].

MRS. RACHNA KHUSHU  माँ का जीवन चक्र                             दिनांक : १५-०७-२१ बच्चे के जन्म से ही माँ, माँ होती है उस से पहले , वो सिर्फ ऐक औरत होती है पेट मे अंकुरित होने …

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